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युग बदल रहा है

Lekhani
Lekhani
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पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चार प्रसिद्ध युग है।


प्रथम युग : सतयुग—-इसे कृतयुग भी कहते हैं। इसका आरंभ अक्षय तृतीया से हुआ था। इस युग में भगवान के मत्स्य , कूर्म, वराह और नृसिंह ये चार अवतार हुए थे। उस समय पुण्य ही पुण्य था, पाप का नाम भी न था।लोग अति दीर्घ आयु वाले होते थे। ज्ञान-ध्यान और तप का प्राधान्य था।


द्वितीय युग : त्रेतायुग—- इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से हुआ था। श्रीराम और परशुराम ने इसी युग में अवतार लिया। इस युग में पुण्य अधिक होता था । मनुष्य की आयु अधिक होती थी ।


तृतीय युग : द्वापरयुग —- इसका आरंभ भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी से हुआ था। यह युद्ध प्रधान युग था l और इसके लगते ही धर्म का क्षय आरंभ हो जाता है। भगवान कृष्ण ने इसी युग में अवतार लिया था।


चतुर्थ युग : कलियुग—-इसे कलयुग (अर्थात मशीनीयुग) भी कहते हैं l आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत का युद्ध 3109 ई॰ पू॰ में हुआ था और उसके अंत के साथ ही कलयुग का आरम्भ हो गया l इस युग में पुण्य विलुप्त हो चुका है l सत्ताधिकारी अपने आपको इस युग में भगवान का अवतार समझते हैं l इस युग में मनुष्य की आयु अधिक हो रही है परन्तु बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं l


दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म कांड
आसाराम बापू के ऊपर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप
लालू प्रसाद का चारा घोटाला
मुज्जफर नगर दंगा


महाभारत के अनुसार कलि युग के बाद कल्कि अवतार द्वारा पुन: सत्ययुग की स्थापना होगी l


नये युग का आगाज —-नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप के चारों गुनाहगारों को कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। फास्ट टै्रक कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने दोपहर ढाई बजे कमरा नंबर 304 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। फैसला आते ही पीड़िता के परिजनों ने जज, सरकारी वकील, पुलिस, मीडियाकर्मी और पूरे भारतवासियों को धन्यवाद कहा। इस फैसले के बारे में सरकारी वकील ने कहा कि जज साहब का मानना था कि यह सबसे क्रूरतम हत्या थी। ऐसी घटना में फांसी से कम की सजा हो ही नहीं सकती l


नाबालिग से यौन शोषण के आरोप में जोधपुर हाईकोर्ट ने मंगलावार को एक बार फिर जमानत की अर्जी ख़ारिज कर दी l न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी की तमाम दलीलों के बावजूद आसाराम को जमानत देने से इन्कार कर दिया।


झारखंड के रांची में सोमवार, 30 अक्टूबर को सीबीआइ की विशेष अदालत ने अविभाजित बिहार में हुए चारा घोटाले के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया। मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र व जहानाबाद से जदयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 45 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। दोषी ठहराए जाने के बाद लालू व 36 अन्य दोषियों को जेल भेज दिया गया। उनके लिए सजा का एलान तीन अक्टूबर को होगा। तीन साल से ज्यादा की सजा वाले मुकदमों में दोषी ठहराए जाने के बाद लालू और जगदीश की लोकसभा सदस्यता रद होनी तय मानी जा रही है। दो साल से ज्यादा सजा पाने वाले दागी जनप्रतिनिधियों को संसद और विधानसभा से दूर रखने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के ये दोनों नेता शुरुआती शिकार हो सकते हैं।


मुजफ्फरनगर दंगों पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को कानून का डर सताने लगा है। राजनेताओं को यह आशंका खासतौर से परेशान करने लगी है कि कहीं मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ या फिर एसआइटी [विशेष जांच टीम] तक न पहुंच जाए।ऐसा हुआ तो फिर अफसर तो फंसेंगे ही, दंगे में राजनीति चमकाने में लगे नेता भी नहीं बचेंगे। मुजफ्फरनगर दंगों में अपने पार्टी नेताओं, विधायकों के नामजद होने पर भाजपा और बसपा जैसे दलों का विरोध और सियासत मुखर है। समाजवादी पार्टी भी कह रही है कि जिस किसी ने भी दंगे को हवा दी और उसके खिलाफ सुबूत हैं तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा।

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