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वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ll
माँ दुर्गा का द्वितीय स्वरूप : ब्रह्मचारिणी –द्च्चना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमाll
माँ दुर्गा का तृतीय स्वरूप : चंद्रघंटा –पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुताll
माँ दुर्गा का चतुर्थ स्वरूप : कुष्मांडा-सुरासम्पूर्णकलशं रुच्चिराप्लुत्मेव च। द्च्चना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे ll
माँ दुर्गा का पंचम स्वरूप : स्कंदमाता – सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
माँ दुर्गा का षष्ठम स्वरूप : कात्यायनी –चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभ
दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
माँ दुर्गा का सप्तम स्वरूप : कालरात्रि –एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप : महागौरी – श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
माँ दुर्गा का नवम स्वरूप : सिद्धिदात्री –सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
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