Jagran Junction Blog॥ नारी शक्ति पर्व ‘नवरात्र’: वेदना श्रद्धेय होने की ॥
Lekhani
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हम श्रद्धा के पात्र हैं क्योंकि हम बेटियाँ हैं
बेटियाँ घर की लाज होती हैं , बेटियाँ सर का ताज होती हैं , पर लुटी जाती हैं बेटियाँ , झुकाई जाती हैं बेटियाँ , पांव पूजे जाते हैं बेटियों के , चुनर ओढाई जाती है बेटियों को , पर बेड़ियों में बाँधी जाती हैं बेटियाँ , बेआबरू की जाती हैं बेटियाँ , घर संभालती हैं बेटियाँ , ममतामयी होती हैं बेटियाँ , पर अबला कही जाती हैं बेटियाँ , बेटों से कम प्यार पाती हैं बेटियाँ, अन्नपूर्णा का रूप हैं बेटियाँ ,त्याग का स्वरूप हैं बेटियाँ , पर भोग्या बन जातीं हैं बेटियाँ , कुलक्षिणी कहलातीं हैं बेटियाँ , बेटियों से रौशन गुलजार है , बेटियों से दुनिया आबाद है , पर अंधेरों में गुम हो जाती हैं बेटियाँ , बरबाद की जाती हैं बेटियाँ , घर की लक्ष्मी होती है बेटियाँ ,पापनाशिनी दुर्गा का रूप होती हैं बेटियाँ, पर बेचीं जाती हैं बेटियाँ , नाश की जाती हैं बेटियाँ , सभी रिश्ते निभाती हैं बेटियाँ , माँ-बहन, पत्नी-बेटी हर रूप में जीतीं हैं बेटियाँ , पर रिश्तों में छली जातीं हैं बेटियाँ,वहशियों को वासना का रूप नजर आती हैं बेटियाँ ,
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