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कन्यापूजा ( बेटियाँ )

Lekhani
Lekhani
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ओस की बूंदों सी नाजुक होतीं हैं बेटियाँ,
सबको प्यार से अपना बना लेती हैं बेटियाँ ,
दो-दो कुलों की लाज निभाती हैं बेटियाँ ,
बहू-बेटी बन सबको सभांलती हैं बेटियाँ ,

कन्या पूजा के दिन याद आती हैं बेटियाँ ,
पहले तो नाते- रिश्ते में मिल जातीं थीं बेटियाँ ,
फिर पास-पडोस से बुलाई जातीं थीं बेटियाँ ,
अब गली-मोह्हलों से ढूंढ़ कर लानी पड़ती हैं बेटियाँ ,

अगले नवरात्र में पता नहीं कहाँ मिलेंगी बेटियाँ ,
अब तो ढूढने से भी मिलती नहीं बेटियाँ ,
कन्या पूजा के दिन सिर्फ यादों में न रह जाएँ बेटियाँ ,
कहाँ से लायेगें फिर हम पूजा के लिए बेटियाँ ,

हीरा है अगर बेटा तो मोती हैं बेटियाँ ,
कहाँ से आयेगें बेटा,जब ना रहेंगी बेटियाँ ,
अब तो बेटों से बढ़ कर होने लगी हैं बेटियाँ ,
मेरी भी प्यारी-दुलारी हैं दो बेटियाँ ll

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