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सरिता सूनी आँखों से वैभव को जाते हुए देखती है ,वह समझ नहीं पाती है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि जिस वैभव ने स्वयं उसे सरिता बनाया उसी ने उसकी जिंदगी में रीतापन भर दिया .
सरिता को आज भी वो दिन अच्छी तरह याद है जब शादी के कुछ दिनों बाद वैभव ने उससे कहा था कि रीता , मैं तुम्हारे नाम में यदि स जोड़ कर तुम्हे वैभव की सरिता बना दूँ तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा,दरअसल मेरा नाम वैभव और तुम्हारा रीता जो कि बिल्कुल एक-दूसरे के विपरीत है , एक का अर्थ सम्पन्त्ता और दूसरे का खालीपन इसीलिए मैं तुम्हारा नाम सरिता करना चाहता हूँ ,तुम्हे कोई ऐतराज तो नहीं . रीता ने सिर्फ ना में सिर हिलाया और उस दिन से वह वैभव की सरिता बन गई . उसे वैभव से कभी कोई शिकायत नहीं रही .अब वह राहुल और प्रिया दो प्यारे बच्चों की माँ बन गई थी .वैभव से उसे वह सब मिला जिसकी ख्वाहिश हर लड़की को शादी के बाद होती है –पति का प्यार ,सुखी परिवार , समाज में इज्जत , उच्च जीवन शैली , सभी सुख सुविधाओं से सम्पन्न आलिशान घर .
लेकिन पता नहीं उसके सुखी गृहस्थ जीवन को किसकी नजर लग गई कि वैभव का समय अब घर से ज्यादा बाहर व्यतीत होने लगा और जब वह घर पर रहता तब भी मोबाइल पर बात करने में व्यस्त रहता . पहले तो सरिता ने समझा की ऑफिस के काम का ज्यादा भार होगा पर धीरे-धीरे उसे इस बात का अहसास हो गया कि वैभव उससे कुछ छिपा रहा है . सरिता के पूछने पर वैभव ने सरिता से जो कहा, उसे सुनकर तो सरिता के होश ही उड़ गये. वैभव ने सरिता से कहा कि वो अपनी जिंदगी के कुछ पल किसी और के साथ बिताना चाहता है और इसमें सरिता को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि उसने सरिता को वो सब दिया है जो कि एक पत्नी का हक़ है और आगे भी वो अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएगा , उसके लिए परिवार की प्राथमिकता पहले है और हमेशा रहेगी .
सरिता के लिए यह सब असहनीय था . वह सोच रही थी, काश वैभव समझ पाता की उसने जो सब उसे दिया है उसमें से ही तो वो अपना कुछ पल ले रहा है , फिर सरिता का सब तो अधूरा हो गया ,तभी वैभव के मोबाइल की रिंग बजी और वह बात करते हुए बाहर चला गया .
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