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अधिकार-अधिकार-अधिकार ! -(साहित्य सरताज) कांटेस्ट

Lekhani
Lekhani
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अजब है यह अधिकार का झंडा
अधिकार जताते है हम , अधिकार मांगते है हम
कर गुजरते कुछ भी हैं , अधिकार के लिए
पर क्यों अधिकार देने से कतरातें हैं हम

अजब है यह अधिकार की चर्चा
परिवार हो या राजनीति , समाज हो या संसद
हर जगह अधिकार की बातें होती हैं
पर हर एक क्यों दूसरे के अधिकार पर हावी होता है

अजब है यह अधिकार का खेला
जनता को वोट देने का अधिकार है,
वोटों की भी होती हिन्दू-मुस्लिम जात है
नेताओं को क्यों वोटों से खेलने का अधिकार है

अजब है यह अधिकार की माया
पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर
चलना औरतों का अधिकार है
तो फिर क्यों औरतों को रौंदना
दुष्कर्मियों का हो गया अधिकार है

अजब है यह अधिकार का धंधा
अपराधियों को अपराध करते रहने का अधिकार है
प्रशासन को उन्हें न रोक पाने का अधिकार है
कोर्ट को क्यों सच हो या झूठ सिर्फ सबूतों की दरकार है

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