Menu
blogid : 15299 postid : 693417

राष्ट्रीय बालिका दिवस-24 January – बलि चढ़ती बेटियाँ ( साहित्य सरताज ) – contest

Lekhani
Lekhani
  • 62 Posts
  • 86 Comments

60254337_p4GvPz9EM_1390555894

चढ़ गई बलि तेरी लड़के की ख्वाहिश में
बन गई मैं भी पापिन , जुड़कर उस ख्वाहिश से


सोचा न था , बिन बिदा किये ही सहनी पड़ेगी तेरी जुदाई
मेरी सूनी आँखों में बस गई , तेरी अनदेखी परछाई


तेरे न जाने कि आस थी , जब तक बंद ना हो गई तेरी साँसे
सुनाई देती हैं मुझको , तेरी अनकही -बेज़ुबां बातें


आँखों से गिरते थे आंसू बार-बार तुझको याद करके
पर अब सूख गये हैं सारे आंसू , आज के हालत देखकर


हर रोज ही चढ़ रही है , किसी ना किसी लड़की कि बलि
कारण है , वहशी भेड़ियों की खौफनाक-बेलगाम दरिंदगी


आँसूओं के बाढ़ से भी , बहती नहीं यह गन्दगी
चीत्कार करता है दिल , फिर भी थमती नहीं यह बलि


आयेगा कब वो दिन, जब बेटियों के माथे पर ना होगी बदनसीबी
कोख से लेकर जीवन के हर डगर पर , फैली होगी खुशनसीबी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply