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मेरी पहली सहेली ( संस्मरण ) – कांटेस्ट

Lekhani
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मेरी पहली सहेली का नाम प्रमिला मल्होत्रा था I हम दोनों अग्रेसन कन्या इंटर कॉलेज वाराणासी में एक साथ पड़ते थे I मेरा और प्रमिला का रंग-रूप व स्वभाव एक-दूसरे से बिल्कुल भी नहीं मिलता था I मैं पतली-दुबली सांवली रंगत व छोटे बालों वाली थी और वह गोरे रंग व स्वस्थ शरीर वाली थी तथा उसके बाल काले- घने -लम्बे थे l वो मेरी बहुत केयर करती थी l मैं अपने घर में सबसे छोटी थी इसलिए जब भी मैं अपनी बड़ी दीदीयों से कुछ भी जानना चाहती तो वे लोग (तुम अभी छोटी हो ऐसा कहकर) मुझे चुप करा देती थीं जिसकी वजह से विद्दयालय में मैं अपनी सहपाठिनों के किसी भी बात में शामिल नहीं हो पाती थी l मेरे कुछ ना समझने पर जब सभी मेरा मजाक उड़ाती थी तब एक प्रमिला ही थी जो मेरा साथ देती थी l वह मुझे उनकी बातों का मतलब समझाती थी l विद्दयालय में होनेवाले किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रमिला की उपस्थिति अनिवार्य थी क्योंकि वह पढ़ाई में अव्वल होने के साथ ही साथ नृत्य , संगीत , वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि में भी आगे रहती थी l वह प्रत्येक कार्यक्रम में अपने साथ मेरा भी नाम लिखवाती थी जिससे मैं अपने संकोची स्वभाव से उबरने लगी थी l प्रमिला अक्सर मेरे घर आती थी पर मैं बहुत कम उसके घर जाती थी l मेरी दीदियां अक्सर मुझे चिढ़ाती थी कि कैसे प्रमिला ने तुम्हें अपनी सहेली बना लिया क्योंकि तुम और वह बिलकुल भी अलग है लेकिन इन सब के बावजूद प्रमिला ने अपनी दोस्ती निभाने में कहीं भी कंजूसी नहीं बरती l हम दोनों कि और भी बहुत सी सहेलियां थी पर मेरे लिए मेरी ख़ास सहेली प्रमिला ही थी l हम जब हाइस्कूल में पहुंचे तब तक और भी बहुत सी सहेलियों से मेरी घनिष्ठता बढ़ चुकी थी l अब प्रमिला मेरी खास सहेली नहीं रह गई थी l वो साल पढ़ाई लिखाई खेल-कूद में कैसे बीत गया पता ही नहीं चला l होश तो तब आया जब हमारा रिजल्ट निकला , हम सब सहेलियां अच्छे नंबरों से पास हो गए थे सिवाय प्रमिला के , हमें तो विशवास ही नहीं हो रहा था कि प्रमिला फेल भी हो सकती है l हम सभी की कक्षा ११ की पढ़ाई शुरू हो गई थी लेकिन प्रमिला स्कूल नहीं आ रही थी , उस समय जब मुझसे कोई प्रमिला के बारे में पूछता तो मैं बहुत बुरा महसूस करती थी l मुझे लगता था की उसने फेल होकर मुझे शर्मिंदा किया है l काफी दिनों बाद प्रमिला विद्दयालय आई तो बिल्कुल पहचान में नहीं आ रही थी l वह बहुत दुबली हो गई थी और काफी कमजोर भी लग रही थी l उसके जिन बालों की हम सब तारीफ करते थे , उसकी जगह अब सिर्फ दो पतली चोटियां ही रह गई थी l हमारे पूछने पर उसने बताया कि उसकी तबियत बहुत खराब थी l मैंने और कुछ उससे जानने की कभी कोशिश भी नहीं की , चूँकि हम दोनों की कक्षा अब अलग थी इसलिए हमारा मिलना बहुत कम होता था या फिर शायद मैं उससे मिलना ही नहीं चाहती थी l मुझे डर था कि एक फेलियर लड़की के साथ बात करने से मेरी इज्जत घट जायेगी l शायद उसे भी मेरी मनःस्थिति का एह्सास था इसीलिए उसने स्वयं ही मुझसे मिलना कम कर दिया परन्तु मुझे इस बात का ज़रा भी अफसोस नहीं हुआ बल्कि मैं खुश ही थी लेकिन वो कहते हैं न कि भगवान हमें सही-गलत का रास्ता स्वयं दिखाते हैं , तो मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ l १२वीं की बोर्ड परीक्षा में अंग्रेजी में कम नंबर आने कि वजह से मैं पास नहीं हो सकी l जब मैं दुबारा उसी कक्षा में पढ़ने लगी तब प्रमिला भी मेरे साथ थी पर उसका वर्ग दूसरा था l अब भी मैं प्रमिला से खुद को दूर ही रखती थी , शायद अपराधबोध की वजह से लेकिन मैं जब भी अकेले होती तब वह अक्सर मेरे पास आ जाती थी परन्तु मैं उससे कटी-कटी रहती थी l एक बार प्रमिला कुछ दिनों तक विद्द्यालय नहीं आई पर उस समय मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और एक दिन विद्द्यालय का एक कर्मचारी मुझे ढूंढ़ते हुए मेरी कक्षा में आया, मेरे पूछने पर उसने बताया कि कोई मुझसे मिलने आया है , मैं कौन होगा यह सोचते हुए जब विद्द्यालय के द्वार तक पहुंची तो देखा कि वहाँ प्रमिला का भाई खड़ा था और वह रो रहा था l उसने मुझे बताया कि प्रमिला की डेथ हो गई है , जिसे सुनकर मैं स्तब्ध रह गई , फिर मैं प्रमिला की कक्षाध्यापिका को यह बात बताई l उस समय मैं बहुत रोना चाह रही थी किन्तु मेरे आँखों से एक बूंद भी आंसू नहीं टपका , मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था की अब प्रमिला मुझसे बहुत दूर चली गई है l कुछ दिनों बाद उसके घर के पास रहनेवाली एक लड़की ने बताया कि प्रमिला को ब्रेनट्यूमर था और प्रमिला को यह बात पता भी थी l उस लड़की बहुत आश्चर्य हो रहा था की मैं जो कि प्रमिला की सबसे करीबी सहेली थी ,मुझे यह बात कैसे नहीं पता l यह बात पता चलने पर मैं बहुत रोई l मुझे खुद पर बहुत ग्लानि महसूस हुई कि जब मेरी सहेली को सबसे ज्यादा मेरी जरुरत थी तब मैंने उससे मुंह मोड़ लिया l अपनी इस ग्लानि को अपने दिल छिपा के मैं अपनी जिंदगी जीने लगी l वक्त बीतने लगा और मैं स्कूल से कॉलेज में पहुँच गई l कॉलेज मेरी बहुत सी नई सहेलियां बनी l एक दिन हम सब एक-दूसरे से उसके बेस्ट फ्रेंड के बारे में पूछ रहे थे , जब मेरी बारी आई तो मैंने सबको प्रमिला के बारे में बताया , सबने सुनकर अफ़सोस जताया पर एक लड़की जो कि मेरे ही स्कूल की थी उसने कहा, तुम झूठ बोल रही हो l उसकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया l मैंने उसे अपनी और प्रमिला की बचपन की हर बात बताई फिर भी वह मेरी बात से संतुष्ट नहीं हुई क्योंकि उसकी दोस्ती प्रमिला से तब हुई थी जब मैंने दूरी बढ़ा ली थी l उसने मुझे बताया कि प्रमिला को ब्लड कैंसर था , यह मेरे लिए एक शॉक्ड न्यूज़ था फिर उसने बताया कि प्रमिला की माँ उसकी स्टेप मदर थी और वह उसे बहुत परेशान भी कराती थी , यहाँ तक कि बिमारी की हालत में भी उससे काम कराती थी l यह भी मेरे लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था कि जिसके साथ मैं बचपन से थी उसके जिंदगी के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी l यह सब बातें जानकर मुझे लगा कि उस लड़की ने ठीक ही कहा था कि मैं प्रमिला की बेस्ट फ्रेंड हो ही नहीं सकती लेकिन प्रमिला मेरी पहली सबसे अच्छी सहेली थी l मैंने प्रमिला के साथ जो बर्ताव किया उसके लिए अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगी l आज यह सब संस्मरण लिखकर मेरे मन का बोझ थोड़ा हल्का हो गया है l मुझे सुनने के लिए प्रमिला तो मेरे साथ नहीं है पर मेरे इस संस्मरण को पढ़कर कोई और ऐसी गलती न करने का सबक ले तो शायद मेरा पश्चाताप हो सके l

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