Lekhani
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दास्ताँ-ए-बयां उत्तर प्रदेश………………………………
हर सुबह अखबार के पन्नों पर देखती हूँ
बेआबरू हो रहा है उत्तर प्रदेश
फिर भी किसी नेता या आला अफसर के चहरे पर
दिख नहीं रही शर्मिंदगी
गुंडों और बलात्कारियों के हौसलों की
बढ़ रही है बुलन्दगी
कभी पेड़ों से लटकी तो कभी खेतों में
अधजली अधनंगी दिख रही है
आधी आबादी पर की गई दरिंदगी
वाह रे वाह ! उत्तर प्रदेश
बेआबरू होकर भी यहाँ के कफ्तानों के चहरे पर
नहीं दिख रही कोई संजीदगी
हर सुबह अखबार के पन्नों पर देखती हूँ
बेआबरू हो रहा है उत्तर प्रदेश
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