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प्रकृति का तांडव

Lekhani
Lekhani
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आह ! ये कैसा प्रकृति ने रचाया तांडव है………………..


बेबस आँखों में जिंदगी की  चाह  लिए सब बदहवास हैं


प्रकृति के  तांडव ने अमीर -गरीब  सबको कर दिया समान हैं


हर तरफ त्राहि माम-त्राहि माम है, जिधर देखो उधर चीख पुकार है


बिछड़ गए  हैं सारे रिश्ते-नाते, मिलकर रो रहें हैं आज सब बेगाने


सुकून के लिए बनाया था , जिन्होंने अपना एक आशियाना


ढह  गए  वे सब ,आज राहें  हीं बन गई हैं  सभी का ठिकाना


बिखर गया तिनका-तिनका , रह गया बस खँडहर और मलबा


भूख -प्यास से तड़प रहे , दर्द इतना कि मुख हो गए निःशब्द हैं


सब कुछ हो गया  ख़त्म है ,जीने की आस भी अव्यक्त है


आह ! ये कैसा प्रकृति ने रचाया तांडव है.…………

http://vandanasinghvas.blogspot.in/


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