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फैल गई मैगी नूडल्स

Lekhani
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वाह! क्या कहने है मैगी के,हर दिल अजीज तो था ही पर अब तो जिन दिलों को नापसंद था वह भी आजकल मैगी की ही बातें करते नजर आते हैं।जिस तरह से मैगी पानी में डालते ही फ़ैल जाती है उसी तरह मैगी में पाई जानेवाली लेड की अधिकता की चर्चा हर तरफ फैली हुई है। वो अमिताभ बच्चन जी का एक गाना है न कि “जिसका बड़ा नाम है वही तो बदनाम है”,आज मैगी का भी यही हाल है. देश में लगभग सभी जगहों पर की गई मैगी की जाँच में लेड की अधिकता पाई गई है,परिणामस्वरूप मैगी पर बैन लग गया है।अभी भी बहुत जगहों पर मैगी की जाँच चल रही है।इसका अर्थ ये हुआ कि हम थोड़े जागरुक हुए हैं , इतने सालो से तो हमारी बुद्धि कुंद हो गई थी,जो हम समझ ही नहीं पाए कि 2 मिनट में पकने वाली चीज सेहत के लिए सही भी है या नहीं। चाय भी बनने में इससे ज्यादा समय ले लेती है , खैर देर से ही सही,आनेवाली नस्लों को हम 2 मिनट का जहर तो नहीं देंगे ,लेकिन सिर्फ मैगी ही क्यों ?मैगी की तर्ज पर और भी बहुत से नूडल्स मार्केट में हैं ,क्या उनकी जाँच नहीं होनी चाहिए ? तब तो च्वाइस वाली बात हो जाएगी की ये नहीं तो कोई और सही। जब बाजार में आप्शन मौजूद है तो मैगी की कमी उपभोक्ताओं को शायद ज्यादा न खले . इसलिए जरुरी है कि बाजार में मौजूद मैगी की तरह के अन्य उत्पादों की भी जाँच की जाये। इसके लिए पहले आप वाले लखनवी अंदाज को छोड़कर हमें स्वयं पहल करनी होगी और अपने आस-पास भी जागरूकता फैलानी होगी की बाजार में हेल्दी फ़ूड ही आये।

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